किसान आंदोलन के समर्थन में बोलीं अनुप्रिया पटेल कहा-समस्या पर ध्यान दे सरकार

नई दिल्ली :  कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसानों के आंदोलन को अब तक तो सिर्फ विपक्ष ही समर्थन दे रहा था लेकिन अब बीजेपी में भी किसानों के मुद्दे को लेकर दो फाड़ देखने को मिल रहा है। किसानों के मुद्दे को लेकर पहले बीजेपी के पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी ने पार्टी से हटकर अपनी राय दी और किसानों का समर्थन किया तो अब बीजेपी की सहयोगी दल की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी किसानों के हक में आवाज को बुलंद किया है जिससे संकेत मिल रहे हैं कि अब बीजेपी में भी दो फाड़ देखने को मिल रहा है।

वहीं सियासी जानकारों का कहना है कि चुनावों को नजदीक देख और किसानों की नाराजगी को देख बीजेपी के सहयोगी और बीजेपी के नेताओं में हार का डर घर कर गया है इसीलिए सब किसानों के साथ होने का दावा कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल अपना दल की प्रमुख अनुप्रिया पटेल ने लखनऊ में कहा कि किसानों के मुद्दों पर संवेदनशीलता बरतते हुए उनका हल निकाला जाना चाहिए।

केंद्र सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने दावा किया कि उनकी पार्टी हमेशा किसानों के साथ रही है और सरकार से ये भी कहा कि किसानों की समस्याओं का हल बातचीत के ज़रिये निकाला जाना चाहिए। इस बयान के बाद पटेल एक और नेता बन गईं, जो बीजेपी के सहयोगी खेमे से होने के बावजूद किसान आंदोलन के पक्ष में उतरीं हैं। केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री अनुप्रिया पटेल के बयान के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई ने ट्वीट किया कि ‘हमारी पार्टी हमेशा किसानों साथ खड़ी रही है। किसानों से जुड़ी हर समस्या को संवेदनशीलता के साथ सुना जाना चाहिए। सरकार के साथ बातचीत के माध्यम से ही मसलों को सुलझाया जाना चाहिए।

सोमवार को अनुप्रिया पटेल के इस बयान के बाद उप्र बीजेपी के सहयोगियों के रुख को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई। अनुप्रिया पटेल से पहले सांसद वरुण गांधी ने भी किसानों के आंदोलन का समर्थन किया था। मुज़फ्फरनगर में किसानों की विशाल रैली यानी महापंचायत को लेकर वरुण गांधी ने कहा था कि विरोध करने के लिए लाखों किसान जुट रहे हैं वो हमारे ही समाज का हिस्सा हैं हमें सद्भाव के रवैये के साथ उनके साथ फिर जुड़ना चाहिए उनका दर्द और उनका नज़रिया समझकर उनके साथ किसी साझे विचार पर सहमति बनानी चाहिए।

केंद्र सरकार ये बात दोहरा चुकी है कि 10 राउंड की बातचीत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका है क्योंकि केंद्र का मत यही है कि कानून वापस लेना कोई तर्कसंगत मांग नहीं है। आपको बता दें कि मुज़फ्फरनगर में हुई किसान महापंचायत के बाद हरियाणा के करनाल में भी किसानों की बड़ी रैली निकली वहीं, बीजेपी का ये भी दावा है कि किसान बातचीत के ज़रिये किसी हल पर पहुंचने के लिए तैयार नहीं है।

ऐसे में अब बीजेपी के ही सहयोगी दल के नेताओं और खुद बीजेपी सांसद के बयान से मामला उलझता सा दिख रहा है और इसके साथ ही सवाल इस बात का है कि जब किसानों की समस्या बीजेपी सांसद और सहयोगी दल के नेताओं को समझ आ रही है तो फिर बीजेपी आलाकमान मामले पर अब तक मौन साधकर क्यों बैठा है आखिर क्यों मामले पर बीजेपी आलाकमान ध्यान नहीं देता औऱ क्यों किसानों की समस्या पर केंद्र सरकार कोई सकारात्मक हल नहीं निकाल रही हैं। देखना ये हैं कि वरुण गांधी के बाद अनुप्रिया पटेल की तरफ से बयान आने के बाद केंद्र की मोदी सरकार क्या फैसला लेती है।