मैनपुरी की सांसद ने मणिपुर को लेकर कहा कुछ ऐसा कि कोई तिलमिला रहा है, कोई छटपटा रहा है और तो और कोई बिलबिला रहा है !

UP News Update : संसद में हंगामा है, सड़क पर हलचल है और तो और बयानों का दौर भी जारी है और हर किसी का एक ही मुद्दा है और वो मुद्दा है मणिपुर(Manipur)। मणिपुर मामले को लेकर आरोपों का दौर जारी है और अब मामले में मैनपुरी से सांसद और नेताजी की बहू डिंपल यादव(Dimple Yadav) ने ऐसा ताबड़तोड़ वार किया है कि सत्ताधारी छटपटा रहे हैं। आमतौर पर शांत रहने वाली डिंपल यादव की आंखें भी मणिपुर मामले में लाल है और डिंपल यादव को जब गुस्सा आया तो उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया और जो कहा उसने गदर मचा दिया।

 डिंपल यादव वैसे तो हर मसले पर बड़े ही सरल स्वभाव में अपनी राय देंती हैं लेकिन जो हालात मणिपुर के उन्होंने देखे उसके बाद तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर दिखा और फिर जो हुआ वो आप इस खबर में आगे देंखेगे। डिंपल यादव ने अपनी राय देते हुए कहा कि मणिपुर की घटना बहुत बड़ी घटना है लेकिन सरकार इसे नजरअंदाज कर रही है। विपक्ष की बस यही मांग है कि इसपर सदन में चर्चा हो,लोगों को इसपर अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए। सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।

मणिपुर के मोरेह जिले में बुधवार को भी उपद्रवियों के एक समूह ने कई घरों में आग लगा दी। अधिकारियों ने ये जानकारी दी खाली पड़े ये घर म्यांमार सीमा के करीब मोरेह बाजार क्षेत्र में थे। अधिकारियों ने बताया कि ये आगजनी कांगपोकपी जिले में भीड़ द्वारा सुरक्षा बलों की दो बसों को आग के हवाले करने की घटना के कुछ घंटों बाद हुई। इस दौरान किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।ये घटना सपोरमीना में उस समय हुई, जब बसें मंगलवार शाम दीमापुर से आ रही थीं। अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय लोगों ने मणिपुर की पंजीकरण संख्या वाली बस को सपोरमीना में रोक लिया और कहा कि वे इस बात की जांच करेंगे कि बस में कहीं दूसरे समुदाय का कोई सदस्य तो नहीं है।

अधिकारियों ने बताया कि उनमें से कुछ लोगों ने बसों में आग लगा दी। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और कई अन्य घायल हुए हैं।राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

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