प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में क्यों नहीं गए प्रेमानंद महाराज ? क्या गुस्से में हैं बाबा ?

भगवान श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देश के जाने माने तमाम साधु गए लेकिन प्रेमानंद जी महाराज  ( Premanand ji Maharaj)का न जाना लोगों को खल गया ! स्वामी जी के समारोह में न होने को लेकर कई तरह की अटकले लगाईं जाने लगीं और लोग दिमागी घोड़े दौंड़ाने लगे ! किसी ने कहा कि स्वामी जी नाराज़ हैं तो किसी ने कहा कि स्वामी जी को सरकार ( Goverment ) की तरफ से न्यौता नहीं दिया गया ! लेकिन अब खुद प्रेमानंद महाराज ने मामले पर अपनी राय दी है और साफ कर दिया कि आखिर वो क्यों कार्यक्रम में शामिल होने नहीं गए  !

प्रेमानंद महाराज से जब किसी ने पूछा कि आप क्यों नहीं गए अयोध्या ( Ayodhya ) तो उन्होंने अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कहा कि ये हमारा दुर्भाग्य है जो हम वहां नहीं जा सकते लेकिन ह्रदय से लाला को आशीर्वाद देते हैं ! स्वामी जी ने इस बात को भी क्लियर किया कि वो आशीर्वाद इसलिए देने की बात करते हैं क्योंकि वो उनके स्वामी है और स्वामी को साधक आशीर्वाद दे ये सामर्थ्य खुद भगवान ने उन्हे दी है ! स्वामी प्रेमानंद महाराज जी ने आगे कहा कि हमारे लाल हैं तो भी हम आशीर्वाद देते हैं और हमें आशीर्वाद देने का पॉवर हमारी महारानी लाड़ली जू राधा रानी ( Radha Rani ) से मिला है ! हम अपने आचार्य को आशीर्वाद देते हैं, हम अपने शिष्यों को आशीर्वाद देते हैं और तो और हम अपने गुरू को भी आशीर्वाद दे सकते हैं !

स्वामी प्रेमानंद महाराज ने इतने सरल स्वभाव के साथ अयोध्या ( Ayodhya ) न जाने के सवाल का जवाब दिया कि जो लोग उनके सवाल से सियासी संकेत खोजने की कोशिश में आए थे वो खुद मौन हो गए और उनके पास शब्द ही नहीं बचे ! जिनसे वो स्वामी जी के जवाब में कोई तर्क पेश कर पाते या दूसरा सवाल कर पाते ! प्रेमानंद महाराजी के प्रवचन सुनने के लिए हर रोज बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं और स्वामी जी सबको अपना आशीर्वाद बिना किसी भेदभाव के देते हैं और सबको बस एक ही बात कहते हैं कि नाम जप करिए और अपने जीवन को अर्थवान बनाई ! इसको व्यर्थ मत जाने दीजिए ! क्या आप भी प्रेमानंद महाराज जी के प्रवचनों को सुनते हैं और उनके प्रवचनों को सुनने के बाद आपकी जिंदगी में क्या बदलाव आया है !  

16 thoughts on “प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में क्यों नहीं गए प्रेमानंद महाराज ? क्या गुस्से में हैं बाबा ?

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